भाजपा कह रही है कि उपचुनाव में उसके परम्परागत वोटर घरों से नहीं निकलते हैं, इसलिए उसका वोट प्रतिशत घट जाता है। इस पर भी यही सवाल उठता है कि आखिर पूरी ताकत से चुनाव लड़ने वाली भाजपा अपने वोटरों को घर से बाहर निकालने में क्यों नहीं कामयाब हो पाई।
उत्तर प्रदेश में 21 अक्टूबर को 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनावों से कुछ दिनों पूर्व बुंदेलखंड की धरती से आए विधानसभा चुनाव के एक नतीजे ने उत्तर प्रदेश की सियासी हवा बदल दी है। नतीजा भले भाजपा के पक्ष में गया हो, लेकिन हौसलों की उड़ान समाजवादी पार्टी को मिली। बुंदेलखंड की हमीरपुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी युवराज सिंह ने बाजी मार ली, सपा दूसरे और बसपा तीसरे नंबर पर रही तो कांग्रेस को चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा। यह सीट यहां के विधायक अशोक चंदेल को उम्र कैद की सजा मिलने के बाद खाली हुई थी। भाजपा ने यहां से जीत तो दर्ज कर ली, लेकिन यह जीत उसके लिए सुखद अहसास देने वाली नहीं रही। नतीजा बता रहा है कि 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। योगी टीम वैसा चमत्कार नहीं कर पाई जैसा कि मोदी ने 2017 के विधानसभा चुनाव के समय किया था। हमीरपुर के नतीजों से यह भी साफ हो गया कि भाजपा की जीत के नायक आज भी मोदी ही हैं, अगर मोदी प्रचार में नहीं उतरते हैं तो भाजपा की जीत की राह में कांटें बिछ जाते हैं। यानी यूपी बीजेपी मोदी के बिना दो कदम भी आगे बढ़ने की क्षमता नहीं रखती है। वोट प्रतिशत बताता है कि भले ही भाजपा उपचुनाव में लगातार हार मिलने के सिलसिले को रोकने में सफल रही हो, लेकिन बीजेपी के वोट प्रतिशत में जो गिरावट आई है, वह चिंता का विषय है। भाजपा अपने आंसू पोंछने के लिए यह कह रही है कि उपचुनाव में उसके परम्परागत वोटर घरों से नहीं निकलते हैं, इसलिए उसका वोट प्रतिशत घट जाता है। इस पर भी यही सवाल उठता है कि आखिर पूरी ताकत से चुनाव लड़ने वाली भाजपा अपने वोटरों को घर से बाहर निकालने में क्यों नहीं कामयाब हो पाई। हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ स्वयं गए थे।